मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय | Major Dhyan Chand biography in hindi

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[Photograb from Wikipedia]

मेजर ध्यानचंद की जीवनी, ओलंपिक, स्टेडियम, अवार्ड, रोचक तथ्य, नेट वर्थ | Major Dhyan Chand Biography in Hindi (Birth, Introduction, Girlfriend, Education, Family, YouTube, Marriage, Interesting facts, Net Worth)

खेलों को लेकर भारत में अलग क्रेज़ हैं इसका अंदाज़ा हम क्रिकेट, फुटबॉल और होके जैसे खेलों से लगा सकते हैं। लेकिन जब बात ओलंपिक की आती हैं तो लोगों के अंदर उत्साह एक अलग स्तर पर चला जाता हैं। ध्यानचंद की वजह से ही भारत ने पहली बार 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। इन्हें 1955 में पद्म भूषण से भी नवाज़ा गया था। आइए जाता हैं इनके बारे में और ध्यानचंद की जीवनी को पढ़ते हैं।

मेजर ध्यानचंद कौन हैं (Who is Major Dhyan Chand)

मेजर ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था। ध्यानचंद हॉकी के एक महान खिलाड़ी थे। इन्होंने भारत के लिए ओलंपिक में लगातार तीन स्वर्ण पदक जीते थे। इनकी वजह से भारत ने पहली बार गोल्ड मेडल जीता था। भारत में इनके जन्मदिन पर नैशनल स्पोर्ट्स डे मनाया जाता हैं। इन्होंने अपने करियर में हज़ार गोल किए थे जिसमें से 400 गोल अंतरराष्ट्रीय मैच में किए गए थे।

मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय (Introduction)

नाममेजर ध्यानचंद
उपनामध्यानचंद
पेशास्पोर्ट
जाना जाता हैअंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी के रूप में

मेजर ध्यानचंद का व्यक्तिगत जीवन (Personal life)

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1950 को प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के हिंदू परिवार में हुआ था। इन्हें बचपन से ही हॉकी खेलने का काफ़ी शोक था। इन्होंने अपनी पढ़ाई छठी कक्षा तक ही पूरी करी थी और बाक़ी का जीवन इन्होंने हॉकी को दे दिया था।

जन्म तिथि29 अगस्त 1905
जन्म स्थानप्रयागराज, उत्तर प्रदेश
राष्ट्रीयताभारतीय
गृहनगरउत्तर प्रदेश
शौकहॉकी खेलना
धर्म हिन्दू
मृत्यु3 दिसंबर 1979
शैक्षणिक योग्यताछठी कक्षा
स्पोर्टहॉकी
ओलंपिक मेडलतीन स्वर्ण पदक

मेजर ध्यानचंद की शिक्षा योग्यता, स्कूल और कॉलेज (Education Qualification, School & College)

ध्यानचंद के पिता जी आर्मी में थे जिसकी वजह से इन्हें पोस्टिंग के कारण बार-बार अपनी जगह बदलनी पड़ती थी इसलिए ध्यानचंद की पढ़ाई छठी कक्षा में ही छूट गई थी।

स्कूलछठी कक्षा

मेजर ध्यानचंद की वैवाहिक स्थिति (Marital Status & More)

ध्यानचंद का विवाह 1936 में जानकी देवी से हुआ था। इनके बच्चों का नाम ब्रिजमोहन, सोहन सिंह, राजकुमार, अशोक कुमार (हॉकी के खिलाड़ी), उमेश कुमार, देविंदर सिंह और वीरेंद्र सिंह हैं।

वैवाहिक स्थिति विवाहित
पत्नी जानकी देवी
बच्चेइनके सात बच्चे थे

मेजर ध्यानचंद का परिवार (Family)

ध्यानचंद के पिता का नाम समेश्वर दत्त सिंह था जो कि भारतीय सेना में थे। इनकी माता का नाम शारदा सिंह था। इनके दो भाई भी थे मूल सिंह और रूप सिंह। रूप सिंह भी हॉकी के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे।

पितासमेश्वर दत्त सिंह
माताशारदा सिंह
भाईमूल सिंह और रूप सिंह

मेजर ध्यानचंद का (Early life)

मेजर ध्यानचंद हॉकी का अभ्यास रात को चाँद की रोशनी में किया करते थे इसलिए इनका नाम ध्यानचंद पड़ गया। यह हॉकी का अभ्यास रेल की पटरी पर किया करते थे। ध्यानचंद वर्ष 1922 में सेना में सिपाही के पद पर भर्ती हुए जिसके बाद सेना के सूबेदार मेजर तिवारी जी ने इन्हें हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया। सूबेदार मेजर तिवारी ख़ुद भी एक हॉकी के खिलाड़ी थे।

इन्हें बचपन से ही हॉकी खेलने का कहाँ काफ़ी शोक था। 1927 में यह एक लांस नायक बने। भारत के लिए गोल्ड मेडल लाने की वजह से बाद में इनका पद लेफ्टिनेंट का हो गया था। वर्ष 1924 में इनका पहला टूर्नामेंट पंजाब के झेलम ज़िले में हुआ था जहाँ से इनका नाम ज़बर्दस्त खेलने की वजह से “हॉकी का जादूगर” पड़ गया था।

वर्ष 1926 में ध्यानचंद ने पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेला जो की न्यूज़ीलैंड में हुआ था। जहाँ कुल 21 मैच हुए जिनमें से 18 भारत ने जीते, दो मैच ड्रॉ हुए और एक मैच न्यूज़ीलैंड ने जीता। इस मैच में भारत ने कुल 192 गोल किए जिसमें से 100 गोल मेजर ध्यानचंद के थे।वर्ष 1927 में लंदन फ़ोल्कस्टोन फ़ेस्टिवल हुआ जिसमें भारत ने कुल 72 गोल किए जिनमें से 36 गोल मेजर ध्यानचंद के थे।

मेजर ध्यानचंद ओलंपिक (Olympic)

ध्यानचंद को भारत की शान माना जाता हैं। इन्होंने ही सबसे पहले भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। वर्ष 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक हुए हैं जिसमें भारत ने नीदरलैंड को हराकर 3-1 विजय प्राप्त करी। जिसमें दो गोल ध्यानचंद ने किए थे।

वर्ष 1932 में लोस एंजिल्स ओलंपिक हुआ जिसमें भारत अमेरिका को हराकर 24-1 से विजयी रहा। जिसमें 8 गोल ध्यानचंद ने और 10 गोले इनके भाई रूप सिंह ने किए।

15 अगस्त 1936 के ओलंपिक में भारत जर्मनी को 8-1 से हराकर एक बार फिर से विजयी बना। जिसमें से 3 गोल ध्यानचंद ने किए और 2 गोल इनके भाई रूप सिंह ने किए। इस प्रकार ध्यानचंद की बदौलत भारत ने लगातार तीन ओलंपिक मैच जीते और स्वर्ण पदक को अपने नाम कर लिया।

मेजर ध्यानचंद स्टेडियम (Stadium)

ध्यानचंद के नाम पर भारत के अंदर एक राष्ट्रीय स्टेडियम का नाम भी रखा गया हैं। यह भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित हैं। यह एक फील्ड हॉकी स्टेडियम हैं और इसमें 2015 के एशियन गेम भी हुए थे। इस स्टेडियम में 16,200 लोग एक बार में खेलों का आनंद ले सकते हैं। इस राष्ट्रीय स्टेडियम को साल 1933 में खोला गया था और इसका पहला नाम इरविन एम्फीथिएटर स्टेडियम था लेकिन बाद में इसका नाम मेजर ध्यानचंद स्टेडियम कर दिया।

मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार (Dhyanchand Khel Ratna Award)

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम अब बदल कर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया हैं। यह पुरस्कार भारत के सबसे उच्च खिलाड़ियों को ही दिया जाता हैं। इस पुरस्कार को हार साल खिलाड़ियों को दिया जाता हैं।

मेजर ध्यानचंद अवार्ड (Awards)

तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक
पद्म भूषण

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