अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय | Arunima sinha Biography in Hindi

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(Image Grabbed from Instagram/ Arunima sinha)

अरुणिमा सिन्हा की जीवनी, कहानी, हादसा, स्पोर्ट्स करियर, अम्प्यूट, रोचक तथ्य | Arunima Sinha Biography in Hindi (Story in Hindi, Accident, Mountaineer, Sports Career, Awards, Achievements, Interesting facts)

अरुणिमा सिन्हा भारत की एक बहुत ही साहसी महिला हैं जिन्होंने काफ़ी मुश्किलों का सामना किया परंतु हार नहीं मानी। दिव्यांग होने के बावजूद इन्होंने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाइयों को छुआ और पूरी दुनिया को यह साबित कर दिया कि अगर इंसान किसी चीज को करने की ठान ले तो कुछ भी नामुमकिन नहीं हैं। इनके इस हौसले को देखकर उत्तर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर ने भी इन्हें सम्मानित किया हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में और Arunima Sinha Biography in Hindi को पढ़ते हैं।

अरुणिमा सिन्हा कौन हैं (Who is Arunima Sinha)

अरुणिमा सिन्हा एक भारतीय खिलाड़ी और दिव्यांग पर्वतारोही हैं जो कि भारत की पहली दिव्यांग महिला हैं जिसने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाइयों को छुआ हैं। इन्होंने सात बार नेशनल स्तर पर वॉलीबॉल भी खेला हैं। अरुणिमा ने माउंट एवरेस्ट के साथ और भी कई पहाड़ों की चढ़ाई की हैं जैसे की माउंट किलिमंजारो (अफ़्रीका), माउंट एल्ब्रस (यूरोप), माउंट कॉसियास्ज़को (ऑस्ट्रेलिया), विंसों मैसिफ़ (अंटार्टिका) और देनाली (नार्थ अमेरिका)।

अरुणिमा सिन्हा का जीवन परिचय (Introduction)

नामअरुणिमा सिन्हा
उपनामअरुणिमा
पेशा मोटिवेशनल स्पीकर और भारतीय पर्वतारोही
जाना जाता हैभारत की पहली दिव्यांग पर्वतारोही के रूप में और सात बार नैशनल वॉलीबॉल खेलने के लिए

अरुणिमा सिन्हा की स्टोरी (Arunima sinha Biography in Hindi)

अरूणिमा सिन्हा का जन्म 20 जुलाई 1989 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में हुआ। बचपन से ही खेलने कूदने का काफ़ी शौक़ था। इन्होंने एक किताब “बोर्न अगेन ऑन द माउंटेन” (Born Again on the Mountain) भी लिखी हैं।

जन्म तिथि20 जुलाई 1989
जन्म स्थानअमबिकापुर, अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयताभारतीय
गृहनगरउत्तर प्रदेश
शौकवॉलीबॉल खेलना
खेलपहले वॉलीबॉल खिलाड़ी, फिर पर्वतारोहणी
अम्प्यूटीट्रेन हादसे में पैर की अम्प्यूटेशन (2011)
पहला शिखरमाउंट एवरेस्ट (2013)
माउंट एवरेस्ट पीक21 मई 2013
पुरस्कारतेंजा नाइट अवॉर्ड, युवा भारत रत्न, जीवन ज्योति पुरस्कार, आदि
संघभारतीय पर्वतारोहण महासंघ
संगठनआर्यभट्ट खेल एवं पुरस्कार अकादमी
किताब“बोर्न अगेन ऑन द माउंटेन” (Born Again on the Mountain), 2014
जीवन की कहानीट्रेन हादसे के बाद पहली एम्प्यूटी महिला जो माउंट एवरेस्ट चढ़ी

अरुणिमा सिन्हा का परिवार (Family)

अरुणिमा सिन्हा के पिता भारतीय सेना में इंजीनियर थे। जब अरुणिमा केवल तीन साल की थी तभी इनके पिता की मृत्यु हो गई थी। इनकी माता का नाम ज्ञान बाला हैं। यह हेल्थ डिपार्टमेंट में सुपरवाइज़र हैं। इनकी बहन का नाम लक्ष्मी सीना और भाई का नाम ओमप्रकाश सीना हैं।

माताज्ञान बाला सिन्हा
बहनलक्ष्मी सिन्हा
भाईओमप्रकाश सिन्हा

अरुणिमा सिन्हा की शिक्षा योग्यता, स्कूल और कॉलेज (Education Qualification, School & College)

अरुणिमा सिन्हा ने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ़ माउंटेनियरिंग (NIM) उत्तरकाशी से पर्वतारोही की पढ़ाई करी हैं।

शिक्षाबी.एससी. (पी.ई.)
कॉलेज/विश्वविद्यालयनेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ़ माउंटेनियरिंग (NIM)

अरुणिमा सिन्हा का हादसा (Accident)

अप्रैल 2011 में अरुणिमा सिन्हा लखनऊ से दिल्ली सीआईएसएफ़ (CISF) की परीक्षा के लिए ट्रेन से सफ़र कर रही थी तभी ट्रेन में कुछ लुटेरे आ जाते हैं और अरूणिमा से इनकी सोने की चेन माँगने लगते हैं लेकिन अरुणिमा देने से साफ़ मना कर देती हैं जिसके बाद वह अरुणिमा को ट्रेन से नीचे फेंक देते हैं तभी दूसरी पटरी पर भी ट्रेन आ जाती हैं जिससे टकराकर यह गिर जाती हैं। जिस बीच इनका एक पैर कट जाता हैं और स्पाइनल कॉर्ड में भी काफ़ी फ्रैक्चर आ जाते हैं।

यह पूरी रात पटरी पर ही पड़ी रहती हैं जिसके बाद अगले दिन गाँव वाले इन्हें ज़िले के हॉस्पिटल में भर्ती करवा देते हैं। जहाँ पर एनेस्थीसिया (बेहोशी का इंजेक्शन) न होने की वजह से इन्हें बिना बेहोश किए ही इनका इलाज करा और एक पैर काटा गया। फिर इन्हें हैं AIIMS ट्रॉमा सेंटर दिल्ली में भेज दिया गया जहाँ यह चार महीने भरती रही।

अरुणिमा सिन्हा का स्पोर्ट्स करियर (Sports Career)

अरुणिमा सिन्हा जब हॉस्पिटल में भर्ती थी तभी इन्होंने सोच लिया था कि इन्हें पर्वतारोही बनना हैं। एक पैर कटने और स्पाइनल कॉर्ड में इतनी चोट लगने के बाद भी यह हार नहीं मानती। हॉस्पिटल से निकलते ही सबसे पहले यह अपने इस सपने को पूरा करने के लिए बचंदरी पाल ( माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चड़ने वाली पहली भारतीय महिला) से मिलती हैं जो कि इन्हें पर्वतारोही बनने के लिए और भी प्रेरित करती हैं।

नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ़ माउंटेनियरिंग और टाटा स्टील एडवेंचर, उत्तरकाशी से यह काफ़ी प्रयास करती हैं जिस बीच इन्हें बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं परंतु यह हार नहीं मानती और अरुणिमा सिन्हा 21 मई 2013 को माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली भारत की पहली दिव्यांग महिला बनती हैं। इन्होंने माउंट एवरेस्ट की चोटी तक का सफ़र 52 दिनों में पूरा किया था।

अरुणिमा सिन्हा के पुरस्कार (Awards)

उत्तर प्रदेश के चीफ़ मिनिस्टर अखिलेश यादव ने 25 लाख के दो चेक देकर अरुणिमा सिन्हा को सम्मानित किया था। जिसके बाद इन्हें 2015 में पद्म श्री अवार्ड मिला। वर्ष 2015 में तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार अवार्ड मिला। वर्ष 2016 में फ़र्स्ट लेडी अवार्ड मिला। इन्हें मलाला अवार्ड, यश भारती अवार्ड और रानी लक्ष्मी बाई अवार्ड भी मिला हैं।

अवॉर्ड या पुरस्कारसालस्रोत
तेंजा नाइट अवॉर्ड2014भारत सरकार
युवा भारत रत्न2014युवा भारत रत्न समारोह
सिल्वर अवॉर्ड, राष्ट्रीय पर्वतारोहण समिति2013राष्ट्रीय पर्वतारोहण समिति
जीवन ज्योति पुरस्कार2014विश्व अखिल भारतीय महासभा
ताम्र पत्र2014भारतीय विदेशी पत्रकार संघ

अरुणिमा सिन्हा के कोट्स (Quotes)

“अपनी माउंट एवरेस्ट यात्रा के दौरान मुझे बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अंत में मैंने अपनी यात्रा पूरी की और भारत के लिए एक इतिहास रचा।”

“हाँ, मैं लड़ूंगी – मैं अपने अधिकारों के लिए और जो मैं मानती हूँ कि मेरा है। मध्यवर्ग की बेटियों को अपने जीवन को गरिमा और सौंदर्य के साथ जीने का हक है। मुझे किसी बात का डर नहीं है।”

“अगर मैं 2011 में उस दुर्घटना का शिकार नहीं होती तो मैं एवरेस्ट पर नहीं चढ़ पाती। हालांकि मैंने अपना पैर खो दिया, लेकिन यह मुझे एक मजबूत इंसान बना दिया है।”

अरुणिमा सिन्हा के सोशल मीडिया अकाउंट (Social Accounts)

यह हैं अरुणिमा सिन्हा का इंस्टाग्राम जिसपर यह अपने ऐक्टिव रहती हैं।

इंस्टाग्रामdr.arunima_sinha

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I done my Bachelors from Delhi University and currently working as a editor on Biographyguru. You can reach me out on instagram.
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