चरण सिंह की जीवनी, राजनीतिक, किसानों का मसीहा, भारत रत्न, स्वतंत्रता सेनानी, शैक्षिक जीवन और प्रारंभिक जीवन, रोचक तथ्य | Charan Singh Biography in Hindi (Politics, Early life, Jail, Farmer, Freedom fighter, Awards, Family, Education)
उत्तर परदेश की भूमि में जन्में एक राजनीतिक महापुरुष, जिन्होंने भारत की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर अविस्मरणीय प्रभाव डाला। चरण सिंह, किसानों के अधिकारों के प्रशंसक और एक दृढ़ नेता थे। इन्होंने भारत की राजनीति पर ऐसी छाप छोड़ी की जिसे हम कभी नहीं भूल सकते। चरण सिंह एक ऐसे आदमी जिन्होंने नीचे से उठकर एक राष्ट्र के भविष्य को आकार देने में मदद करी। राजनीति के अलावा भारत को आज़ाद करने में भी इनका बहुत बड़ा योगदान था।
आई जानते हैं इनके जीवन के बारे में और चरण सिंह की जीवनी को पढ़ते हैं।
चरण सिंह कौन हैं (Who is Charan Singh)
चरण सिंह, जिनका पूरा नाम चौधरी चरण सिंह था। इनका जन्म 23 दिसम्बर, 1902 में उत्तर प्रदेश में हुआ और 29 मई, 1987 को दिल्ली में इनकी मृत्यु हो गई थी। 28 जुलाई, 1979 को यह भारत के पाँचवें प्रधान मंत्री बनते हैं और 14 जनवरी, 1980 को यह इस पद से इस्तीफ़ा दे देते हैं। चरण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत के वित्त मंत्री भी रहे थे। इन्हें किसानों का मसीहा भी कहा जाता हैं इन्होंने कृषि और ग्रामीण विकास पर काफ़ी ध्यान दिया था। इनको 2024 में भारत रत्न भी दिया गया हैं।
चरण सिंह की जीवनी (Charan Singh Biography)
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को नूरपुर, यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा और अवध, ब्रिटिश इंडिया में हुआ था, जो की अब उत्तर प्रदेश, भारत में हैं। इनकी मृत्यु 84 साल की उम्र में 29 मई 1987 को नई दिल्ली में हुई थी।
जीवनी जानकारी | |
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पूरा नाम | चौधरी चरण सिंह |
जन्म तिथि | 23 दिसम्बर, 1902 |
जन्म स्थान | नूरपुर, यूनाइटेड प्रोविंसेज ऑफ आगरा एंड ओड़ (अब उत्तर प्रदेश, भारत) |
मृत्यु तिथि | 29 मई, 1987 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक करियर | |
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राजनीतिक दल | भारतीय लोक दल (बीएलडी), जनता पार्टी, जनता दल |
हुकुम | भारत के प्रधानमंत्री (28 जुलाई, 1979 – 14 जनवरी, 1980) |
अन्य कुंजी भूमिकाएँ | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (1967-1968), भारत के वित्त मंत्री (1977-1979) |
शैक्षिक जीवन और प्रारंभिक जीवन | |
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शिक्षा | आगरा विश्वविद्यालय से विधि में मास्टर्स |
प्रारंभिक करियर | वकील के रूप में काम किया और सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हुआ |
सामाजिक सुधार | किसानों के अधिकार और ग्रामीण विकास के लिए आवक होने वाले एक प्रचारक |
विरासत | |
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भूमि सुधार | किसानों को लाभान्वित करने के लिए भूमि सुधार की बातचीत और कदम उठाने के लिए जाने जाते हैं |
आर्थिक नीतियाँ | कृषि और ग्रामीण विकास पर केंद्रित |
पुरस्कार और पहचान | 2001 में भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, को पोस्टह्यूमस्ली प्रदान किया गया, |
चरण सिंह का परिवार (Family)
चौधरी चरण सिंह के पिता का नाम मीर सिंह और इनकी माता का नाम नेत्र कौर था। इनके पिता एक छोटे व्यापारी थे। इनके पूर्वज हरियाणा के गुरुग्राम ज़िले से थे जहाँ पर वह मुग़ल साम्राज्य में राजस्व संग्रह का कार्य करते थे बाद में यह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले में आकर बस गए थे।
परिवार | |
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पिता | मीर सिंह |
माता | नेत्र कौर |
चरण सिंह की वैवाहिक स्थिति (Marital Status & More)
चौधरी चरण सिंह की पत्नी का नाम गायत्री देवी था। इनके 6 बच्चे थे अजीत सिंह, सत्यवती सोलंकी, गायत्री सिंह, श्रद्धा सिंह, सरोज वर्मा और वेदवती सिंह हैं।
विवाह | |
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वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | गायत्री देवी |
बच्चे | अजीत सिंह, सत्यवती सोलंकी, गायत्री सिंह, श्रद्धा सिंह, सरोज वर्मा और वेदवती सिंह |
पोता | जयन्त चौधरी |
चरण सिंह का जीवन (Early life)
चौधरी चरण सिंह महात्मा गांधी से काफ़ी प्रेरित थे इन्होंने ब्रिटिश सरकार से आज़ादी पाने के लिए अहिंसक आंदोलन में भी भाग लिया था और यह काफ़ी बार जेल भी गए थे।
वर्ष 1930 में इन्हें नमक अधिनियम का उल्लंघन करने की वजह से छः महीने की जेल हुई थी। इन्हें नवम्बर 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन की वजह से भी एक साल के लिए जेल हुई थी। इन्हें अगस्त 1942 में ब्रिटिश नियम डीईआर के अन्तर्गत फिर से जेल हो गई थी। इसके बाद नवंबर 1943 में इन्हें छोड़ दिया गया था।
फ़रवरी 1937 को यह छपरावली (बाघपत) चुनाव क्षेत्र से लेजिस्लेटिव एसेंबली ऑफ़ यूनाइटेड प्रोविंस के लिए केवल 34 साल की उम्र में ही चुने गए थे।
वर्ष 1938 में यह असेंबली में कृषि उत्पादित बाज़ार विधेयक (Agricultural Produced Market Bill) लाए जिससे भारत के कई राज्यों ने अपनाया जिसमें से 1940 में पंजाब पहला राज्य था।
इनका पोता भी हैं जयंत चौधरी जो की फ़िलहाल में राष्ट्रीय लोक दल पार्टी का चेयरमैन हैं।
चरण सिंह का राजनीति करियर (Political Career)
चौधरी चरण सिंह का जवाहर लाल नेहरू के विचारों एवं कार्य प्रणाली में काफ़ी मतभेद था और यह जवाहर लाल नेहरू की आर्थिक नीतियों के आलोचक थे। इस मतभेद के चलते इन्होंने 1968 कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया था। वर्ष 1968 में इन्होंने नारायण एवं राममनोहर लोहिया के साथ नई पार्टी बनाई।
1975 से 1997 तक आपातकालीन स्थिति में इंद्रा गाँधी ने लगभग सभी कांग्रेस विरोधी नेताओं को जेल भेज दिया था इन नेताओं ने जेल में रहकर ही जनता पार्टी की तरफ़ से चुनाव लड़े एवं जीत हासिल की थी।
इसके बाद चौधरी चरण सिंह वरिष्ठ नेता के रूप में सत्ता में आए और मोरारजी देसाई के कार्यकाल में चरण सिंह प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री रहे। इस शासन के दौरान चरन सिंह और मोरारजी देसाई के बीच मतभेद बढ़ गए और चरण सिंह ने जनता दल पार्टी छोड़ दी जिससे मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई।
28 जुलाई 1979 को कांग्रेस पार्टी और दूसरी पार्टी के समर्थन से चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री का पद संभाला। इस समय इंद्रा गाँधी ने इन्हें काफ़ी समर्थन दिया जिसके बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने समझौता कर शासन किया पर कुछ समय बाद 19 अगस्त 1979 को इंद्रा गाँधी ने समर्थन वापस ले लिया।
इंद्रा गांधी ने इनके सामने शर्त रखी थी कि उनके ख़िलाफ़ किए गए मुक़दमे रद्द किए जाएं। लेकिन चौधरी चरण सिंह के लिए इस शर्त को मानना इनके सिद्धांतों के ख़िलाफ़ ।था इसलिए इन्होंने यह स्वीकार नहीं किया और प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
चरण सिंह की पुरस्कार और उपलब्धियां (Awards and Achievements)
पुरस्कार और सम्मान | विवरण |
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किसान रत्न | किसानों के कारण उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया। |
उदय सिरोमणि पुरस्कार | सामाजिक और आर्थिक कल्याण में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। |
जाट रत्न | जाट समुदाय के नेतृत्व में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए मान्यता प्राप्त की गई। |
भारत रत्न (2024) | भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। |
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